Kaafal Ek Katha “काफल पाको मैं नी चाखों“
काफल पाको मिन नी चाखों
पहाड़ो से भले ही पलायन कर चुके लोग की आत्मा षान्त हो लेकिन ग्रीश्म ऋतु के दिनों में आज भी उस अभागी चिडियां की तरह काफल चखने के लिऐ लालायित रहती है। पहाडों की हरयाली सिर्फ पहाड़ को ही नहीं लुभाली बल्कि यह दस्तक दूर तक…